भारत में रह रहे अफगान और रोहिंग्या मुसलमान नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का फायदा लेने के मकसद से ईसाई बन रहे हैं।
केंद्रीय एजेंसियों ने सरकार को सतर्क कर दिया है, ताकि लोगों को मामले की जानकारी हो।
‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगान मुसलमानों के ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के लगभग 25 मामले हाल में सामने आए हैं।
दक्षिणी दिल्ली में एक अफगान चर्च के प्रमुख, आदिब अहमद मैक्सवेल ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि सीएए के बाद, धर्म परिवर्तन कर ईसाई बनने वाले अफगान मुसलमानों की संख्या में तेजी आई है।
रोहिंग्या मुसलमान अवैध प्रवासी हैं, जिन्होंने बांग्लादेश के माध्यम से भारतीय भूमि में प्रवेश किया है, इसलिए भारत सरकार ने उन्हें स्वीकार करने और उन्हें भारतीय नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। इसलिए ये ईसाई धर्म में परिवर्तन हो रहे है रहे है
आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 150,000-160,000 अफगान मुसलमान रहते हैं। जिनमें मुख्य रूप से पूर्व कैलाश, लाजपत नगर, अशोक नगर और आश्रम में रहते हैं।
इसके अलावा आधिकारिक अनुमान बताते हैं कि लगभग 40,000 रोहिंग्या मुसलमान पूरे भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या जम्मू और कश्मीर में है। इन प्रवासियों की एक बड़ी तादाद 2012 से पहले भारत में रह रही है और अब ईसाई धर्म अपनाते हुए बांग्लादेश से होने का दावा कर रही है।
CAA रोहिंग्या मुस्लिमों को भारतीय नागरिक नहीं बनाता
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 10 जनवरी 2020 को लागू हुआ था। इस नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर आए हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बुद्ध धर्मावलंबियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
गृह मंत्रालय यह पहले ही साफ कर चुका है कि CAA का भारत के किसी भी धर्म के किसी नागरिक से कोई लेना देना नहीं है। इसमें उन गैर मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत में शरण ले रखी है। कानून के मुताबिक, 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ गए इन तीन देशों के प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी।
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